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भोजपुरी चोखा बनाने का सरल तरीका #भोजपुरी #चोखा #Bhojpuri #Chokha

नमस्कार मित्रों, आज हम आपको बताने जा रहे हैं चोखा (जो कि पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार का एक लोकप्रिय व स्वादिष्ट, पौष्टिक व्यंजन है उसे बनाने का आसान तरीका । इसके लिए हमें निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी : आलू - लगभग 250-300 ग्राम बैगन (गोल वाला) - दो (मध्यम) मीडियम आकार के टमाटर - एक पीस प्याज - लगभग 100 ग्राम लहसुन - 7-8 कली अदरक - 20 ग्राम धनिया की पत्ती - 8-10 हरी मिर्च - 3-4 सरसो का तेल - 50 ml लगभग नमक - स्वादानुसार सबसे पहले आलू को उबालें अच्छी तरह से, उसके बाद बैगन , टमाटर को अच्छी तरह भून लें, इसके लिए आप गैस के चूल्हे का इस्तेमाल कर सकते हैं पर गोबर की उपलों की आग सबसे अच्छी मानी जाती है । जब बैगन और टमाटर अच्छी तरह पक जाए तो उन्हें छील कर एक बड़े बर्तन में रखें । अब प्याज, लहसुन, अदरक, हरी मिर्च और धनिया की पत्तियों को बारीक काट कर आलू बैगन टमाटर के साथ अच्छी तरह मिलाकर गूथ लें, ठीक वैसे ही जैसे आटा गूंथते हैं, उसमे सरसो का तेल और नमक भी मिलाएँ । लीजिये तैयार है लटर-पटर लजीज़ चोखा इसे आप लिट्टी, बाटी, भौरी, चावल दाल, रोटी आदि के साथ कहा सकते हैं । यह स्व

बुरे तुम भी हो बुरे हम भी हैं

बुरे तुम भी हो , बुरे हम भी हैं , थोड़ी खुशियाँ भी हैं थोड़े ग़म भी हैं | राह ए ज़िन्दगी आसान नहीं मुसाफिर , उकताए तुम भी हो, उकताए हम भी हैं || क्यों बढ़ रहीं हैं ख्वाहिशें आसमान छूने की , परिंदों की तरह उन्मुक्त गगन में नाचने की - झूमने की, मनचाही उड़ान से स्वयं रूबरू होने की, वतन के आँचल को मोतियों से पिरोने की, अकुलाये तुम भी हो, अकुलाये हम भी हैं, एक जज़्बा - कुछ कर गुजरने का | वतन के लिए फिर जी के मरने का, संजोये तुम भी हो, संजोये हम भी हैं || © Swapnil www.facebook.com/king.swapnil

कविता

मेरी साँसों में महकती एक महक हो तुम, मेरे साहस में चमकती चहक की चषक हो तुम । मेरे ख्वाबों के आइने में अनसुलझी पहेली हो तुम निगाहें पूछ रही हैं, मेरीं, कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। मेरे दृढ संकल्प की एक कडी़ हो तुम, या अंबर की अप्सरा – परी हो तुम । निराशा में विश्वास की अविरल घडी़ हो तुम, तुम ही बता दो, कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। जब मै टूट जाता हूँ तो मेरा सुदृढ निश्चय हो तुम, जब मैं विस्मित हो जाता हूँ, मेरा आत्म परिचय हो तुम । साँझ सी सुमधुर, शाश्वत सुरों सी, सत्य या स्वप्निल हो तुम, गगन की गर्जना, या हो तुम शक्ति का रूप , कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। To be continued....... (c) Swapnil / Sameer

पगली लड़की

आज फिर उस पगली लडकी की याद आई । आज फिर हमने उसे कभी ना रुलाने की कसम खाई । शाम ढ़लती रही, रूह जलती रही । आज फिर हम पर हँस कर चली गयी हमारी तनहाई । सोचा था थाम लेंगे हाथ तेरा । आँखें ही नहीं दिल भी रो उठा मेरा । सीने में इक लहर सी उठने लगी । तो फिर शबे तनहाई ने मुझे आवाज़ लगाई । के भूल जा न  कर ज्यादा याद उसे । न बयाँ कर तेरे ये ममूली से ख़यालात उसे । वो क्या समझेगी तेरी इस तडपती हुई  हालत को । वो जानती है तेरी हर एक आदत को, इसीलिये तेरा जलना उसे अच्छा लगता है । तेरा हक़ीकत में आँसू बहाना, पर तू उसे बच्चा लगता है । रूठ जाता तू अगर वो मनाने आई पर उसने तो जैसे ये कसम है खाई, के बना के वो छोड़ेगी तुझे अपना भाई । आज फिर उस साँवरी सलोनी की जबरदस्त याद आई, और मेरे दिल ने मेरे जज़बातों की खिड़की खटखटाई । आज फिर उस पगली लड़की की याद आई - आज फिर उस पगली लड़की की याद आई ।

My Self Written Poem in Hindi

उडता रहूँ तेरी जुल्फोँ की छाँव मेँ कहीँ जैसे उडते हैँ बादल चाँद सितारोँ मेँ कहीँ। तेरे बदन की खुशबू को साँसोँ मेँ छुपाकर झूम जाऊँ इन मस्त फिजाओँ मेँ कहीँ। तेरे नैनोँ के काजल से दिल के कोरे कागज पर लिख दूँ तेरा फसाना। और जिन्दगी भर गुनगुनाता रहूँ तेरा ही तराना। बस इतनी ही चाहत है। तेरी पुष्प सी पुलकित पल्कों पर रख दूँ इक हसीन सा ख्वाब तेरे मृग सरीखे नयनों को ले चलूँ उस ख्वाब के पास। तेरे जीवन को खुशियों से भर दूँ तेरा हर सपना हकीकत कर दूँ। मेरी इस स्वप्निल अभिलाशा को पूरा जरूर करना, या रब, उसे कभी न मुझसे दूर करना। बस इतनी सी चाहत है, बस इतनी सी चाहत है।