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पगली लड़की

आज फिर उस पगली लडकी की याद आई । आज फिर हमने उसे कभी ना रुलाने की कसम खाई । शाम ढ़लती रही, रूह जलती रही । आज फिर हम पर हँस कर चली गयी हमारी तनहाई । सोचा था थाम लेंगे हाथ तेरा । आँखें ही नहीं दिल भी रो उठा मेरा । सीने में इक लहर सी उठने लगी । तो फिर शबे तनहाई ने मुझे आवाज़ लगाई । के भूल जा न  कर ज्यादा याद उसे । न बयाँ कर तेरे ये ममूली से ख़यालात उसे । वो क्या समझेगी तेरी इस तडपती हुई  हालत को । वो जानती है तेरी हर एक आदत को, इसीलिये तेरा जलना उसे अच्छा लगता है । तेरा हक़ीकत में आँसू बहाना, पर तू उसे बच्चा लगता है । रूठ जाता तू अगर वो मनाने आई पर उसने तो जैसे ये कसम है खाई, के बना के वो छोड़ेगी तुझे अपना भाई । आज फिर उस साँवरी सलोनी की जबरदस्त याद आई, और मेरे दिल ने मेरे जज़बातों की खिड़की खटखटाई । आज फिर उस पगली लड़की की याद आई - आज फिर उस पगली लड़की की याद आई ।

My Self Written Poem in Hindi

उडता रहूँ तेरी जुल्फोँ की छाँव मेँ कहीँ जैसे उडते हैँ बादल चाँद सितारोँ मेँ कहीँ। तेरे बदन की खुशबू को साँसोँ मेँ छुपाकर झूम जाऊँ इन मस्त फिजाओँ मेँ कहीँ। तेरे नैनोँ के काजल से दिल के कोरे कागज पर लिख दूँ तेरा फसाना। और जिन्दगी भर गुनगुनाता रहूँ तेरा ही तराना। बस इतनी ही चाहत है। तेरी पुष्प सी पुलकित पल्कों पर रख दूँ इक हसीन सा ख्वाब तेरे मृग सरीखे नयनों को ले चलूँ उस ख्वाब के पास। तेरे जीवन को खुशियों से भर दूँ तेरा हर सपना हकीकत कर दूँ। मेरी इस स्वप्निल अभिलाशा को पूरा जरूर करना, या रब, उसे कभी न मुझसे दूर करना। बस इतनी सी चाहत है, बस इतनी सी चाहत है।