Posts

Showing posts from January, 2012

कविता

मेरी साँसों में महकती एक महक हो तुम, मेरे साहस में चमकती चहक की चषक हो तुम । मेरे ख्वाबों के आइने में अनसुलझी पहेली हो तुम निगाहें पूछ रही हैं, मेरीं, कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। मेरे दृढ संकल्प की एक कडी़ हो तुम, या अंबर की अप्सरा – परी हो तुम । निराशा में विश्वास की अविरल घडी़ हो तुम, तुम ही बता दो, कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। जब मै टूट जाता हूँ तो मेरा सुदृढ निश्चय हो तुम, जब मैं विस्मित हो जाता हूँ, मेरा आत्म परिचय हो तुम । साँझ सी सुमधुर, शाश्वत सुरों सी, सत्य या स्वप्निल हो तुम, गगन की गर्जना, या हो तुम शक्ति का रूप , कौन हो तुम – कौन हो तुम ।। To be continued....... (c) Swapnil / Sameer