पगली लड़की
आज फिर उस पगली लडकी की याद आई । आज फिर हमने उसे कभी ना रुलाने की कसम खाई । शाम ढ़लती रही, रूह जलती रही । आज फिर हम पर हँस कर चली गयी हमारी तनहाई । सोचा था थाम लेंगे हाथ तेरा । आँखें ही नहीं दिल भी रो उठा मेरा । सीने में इक लहर सी उठने लगी । तो फिर शबे तनहाई ने मुझे आवाज़ लगाई । के भूल जा न कर ज्यादा याद उसे । न बयाँ कर तेरे ये ममूली से ख़यालात उसे । वो क्या समझेगी तेरी इस तडपती हुई हालत को । वो जानती है तेरी हर एक आदत को, इसीलिये तेरा जलना उसे अच्छा लगता है । तेरा हक़ीकत में आँसू बहाना, पर तू उसे बच्चा लगता है । रूठ जाता तू अगर वो मनाने आई पर उसने तो जैसे ये कसम है खाई, के बना के वो छोड़ेगी तुझे अपना भाई । आज फिर उस साँवरी सलोनी की जबरदस्त याद आई, और मेरे दिल ने मेरे जज़बातों की खिड़की खटखटाई । आज फिर उस पगली लड़की की याद आई - आज फिर उस पगली लड़की की याद आई ।